Home Bollywood मीना कुमारी का जन्मदिन: ‘ट्रेजेडी क्वीन’ किंवदंती या सच

मीना कुमारी का जन्मदिन: ‘ट्रेजेडी क्वीन’ किंवदंती या सच

0

मीना कुमारी आज यानि की 1 अगस्त को 91वां सावन देख पातींI और उनके फैन मीनाकुमारी (ट्रेजेडी क्वीन) को जन्मदिन पर बधाई दे रहे होते, यदि उनकी असामयिक मृत्यु न हो जातीI पर्दे पर तो लोग उन्हें ट्रेजेडी क्वीन बुलाते ही थे, उनकी असल जिन्दगी भी किसी ट्रेजेडी से कम न थी

 1 अगस्त,1933 को अली बक्श और इकबाल बेगम के घर जन्मी मीना का असली नाम महजबीं था। वह अपने माता-पिता की दूसरी संतान थींI उनसे पहले उनकी एक बड़ी बहन थीI माता-पिता उन्हें दूसरी बेटी के रूप में पा कर खुश न थे क्यूंकि वो एक बेटा चाहते थेI मीनाकुमारी के बाद उनकी एक और छोटी बहन थीI

रविंद्रनाथ टैगोर से था गहरा सम्बन्ध

मीनाकुमारी की नानी कवि रविंद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई की बेटी थीं, जिन्होंने विधवा होने के बाद पुनर्विवाह करके घर छोड़ दिया था इस लिहाज से रविंद्रनाथ टैगोर मीनाकुमारी के रिश्तेदार थेI

ट्रेजडी क्वीन कैसे बनी मीनाकुमारी   

भारतीय सिनेमा मीना कुमारी के अलावा किसी और त्रासदी को नहीं जानताI यह उनका निजी जीवन था, जो उदासी से भरा था जो उनके ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व में परिलक्षित होता था। बचपन के संघर्षों से लेकर बीमारियों और असफल रिश्तों से लड़ने तक, उनके वास्तविक जीवन का दर्द उनके अभिनय में इतना स्पष्ट था कि वह फिल्म जगत की ट्रेजेडी क्वीन बन गई। इतना कि जब वह मर गई तो वह अपने अस्पताल के बिलों को भी वहन नहीं कर सकती थी।

मीनाकुमारी ने फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही से की शादी  

मीना की जीवनी में, विनोद मेहता ने लिखा है कि फिल्म पाकीजा के निर्देशक और पटकथा लेखक कमाल अमरोही जब पहली बार मीनाकुमारी से मिले तब वह छह वर्ष की थीं और कमाल बाल कलाकार की तलाश में थे। चौदह साल बाद, 1952 में, उन्होंने उनसे शादी कर ली, हालाँकि वह पहले से शादीशुदा थे साथ ही तीन बच्चों के पिता भी थेI उनकी शादी कामयाब न हुई और वे 1964 में अलग हो गए।

धर्मेन्द्र से दोस्ती बनी तलाक का कारण

उस समय के नवोदित कलाकार धर्मेन्द्र के साथ मीनाकुमारी की दोस्ती उनके पति कमाल अमरोही को नागवार गुजरी हालाँकि मीना उन्हें सिर्फ अपना दोस्त समझती थीं पर वो कमाल को यकीन न दिला सकीं कि, वो कमाल से कितना प्रेम करती थीं अंततः दोनों का तलाक़ हो गयाI

फिल्मफेयर अवार्ड जीतने वाली पहली एक्ट्रेस

 मीना कुमारी 1953 में फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड जीतने वाली पहली एक्ट्रेस थीं। उन्हें बारह बार  फिल्मफेयर के लिए नामांकित किया गया था, जिनमें से उन्होंने चार फिल्मफेयर पुरस्कार जीते।

 मीनाकुमारी ने पर्दे पर भारतीय नारी को चित्रित किया

पर्दे पर मीना अधिकतर भारतीय नारी की भूमिका में रहींI देवर, भाभी की चूड़ियाँ, दुश्मन, बैजू बावरा, साहब बीवी और गुलाम, दिल एक मंदिर ऐसी ही फिल्मे हैं, जिनमे उन्होंने भारतीय नारी की छवि को जीवंत कर दियाI   

अच्छी लेखिका भी थीं  मीनाकुमारी

शेर- ओ- शायरी मीना का शौक था या उनके मन की पीड़ा जो वो किसी को दिखाने के बजाय कागज में उकेरना बेहतर समझती थींI ‘नाज़’ उपनाम से लिखी गयीं उनकी कई कवितायेँ जो वो मृत्यु से पूर्व अपने दोस्त गुलज़ार साहब को सौंप गयी थींI  उनकी मृत्यु के बाद छपी, वो सबूत हैं कि मीनाकुमारी अच्छी लेखिका थीं … उनके  शेर ‘ शहतूत की शाख पर बैठी मीना’ और ‘चाँद तनहा आसमां तन्हा’ उनके फैन्स ने जरुर पढ़े होंगेI

मीना जी को उनके जन्मदिन पर याद करते हुए उनके दर्द भरे किरदार आँखों के सामने कौंध जाते हैं चाहे वो ‘पाकीज़ा’ की मजबूर तवायफ हो, ‘साहब बीबी और गुलाम’ की पति के प्रेम को तरसती एक शराबी पत्नी या फिर, ‘दिल एक मंदिर’ की मजबूर प्रेमिका और मर्यादित पत्नीI अपने छोटे से फ़िल्मी करियर में, भारतीय सिनेमा पर वो अमिट छाप छोड़ गयी हैं,  उस महान ट्रेजडी क्वीन का स्थान आज भी रिक्त हैI

यह भी पढ़ें; महान गायक मोहम्मद रफ़ी की पुण्यतिथि पर: उन्हें याद करते हुए         

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version